भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी) के वैज्ञानिकों ने पीने के पानी में एक उपकरण मुक्त फ्लोराइड आयन का पता लगाने का एक प्रौद्योगिकी को विकसित किया है।
यह फ्लोरोसिस-आधारित विकारों से बचाने में घरेलू उपयोग के लिए विकसित किया गया है जिसमें किसी विशेषज्ञ की जरूरत नहीं होगी।
- डॉ. जयमुरुगन गोविंदा सामी और उनकी टीम द्वारा विकसित की गई तकनीक में 2,3-डिस्बस्टिट्यूटेड 1,1,4,4-टेट्रेसीनो-1,3-ब्यूटाडाइन्स (टीसीबीडी) पर आधारित एक पुश-पुल क्रोमोफोर शामिल है जो फ्लोराइड आयन के संपर्क में आने पर रंग बदलता है।
- चिन्हित क्रोमोफोर (सी3-फिनाइल, C2- यूरिया फंक्शनलाइज़्ड टीसीबीडी) अर्ली करियर रिसर्च (ईसीआर) अवार्ड द्वारा प्राप्त एक व्यवस्थित अध्ययन का परिणाम है।
फ्लोरोसिस
- फ्लोरोसिस (Fluorosis) एक गंभीर किस्म की बीमारी है, जो लंबे समय से पीने के पानी/खाद्य उत्पादों/ औद्योगिक प्रदूषण के माध्यम से फ्लोराइड के अधिक सेवन के कारण शरीर के कठोर और नरम ऊतकों में फ्लोराइड्स के जमाव से उत्पन्न होती है।
- यह डेंटल फ्लोरोसिस, कंकाल फ्लोरोसिस और गैर-कंकाल फ्लोरोसिस के परिणामस्वरूप होता है। पानी में फ्लोराइड की आसान पहचान सार्वजनिक स्वास्थ्य के खतरों को रोकने में मदद कर सकती है।
(Source: PIB)
UPSC ONLINE SELF-EVALUATION TEST SERIES FOR HINDI MEDIUM STUDENTS
CLICK HERE FOR UPSC, BPSC, UPPCS, JPSC, MPPSC, RPSC PRELIMS CURRENT AFFAIRS MCQ