देश में पोषण सुरक्षा को व्यावहारिक रूप देने की प्रक्रिया के तहत खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने ‘चावल को पोषणयुक्त बनाने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए इसके वितरण’ (Fortification of Rice & its distribution through Public Distribution System) के वास्ते एक केन्द्र प्रायोजित पायलट परियोजना (Centrally Sponsored Pilot Scheme ) लागू की है।
- यह पायलट योजना 2019-20 से शुरू हो रहे तीन सालों के लिए मंजूर की गई है और इसके लिए 174.6 करोड़ रुपये का कुल बजट आवंटन किया गया है।
- इस पायलट योजना को लागू करने के लिए 15 राज्य सरकारों ने अपने-अपने जिलों की (प्रति राज्य एक जिला) पहचान की है। आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़- इन पांच राज्यों ने पहले ही अपने-अपने जिलों में इस पोषणयुक्त चावल का वितरण शुरू कर दिया है।
- भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से देश के सभी जिलों से इस पोषणयुक्त चावल की खरीद और उसके वितरण के संबंध में एक समन्वित योजना बनाने के लिए कहा गया।
- एफसीआई यह योजना 2021-22 के लिए समन्वित बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) और मिड-डे-मील (एमडीएम) योजनाओं के तहत तैयार करेगा। इसका विशेष ध्यान देश के 112 विशेष रूप से पहचान किए गए महत्वकांक्षी जिलों में पोषणयुक्त चावल के वितरण पर रहेगा।
- लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पोषणयुक्त चावल कार्नेल (Fortified Rice Kernels ) की आपूर्ति को बढ़ाने की जरूरत है जो कि वर्तमान में मात्र 15,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष है। पीडीएस, आईसीडीएस और एमडीएम के वास्ते 112 महत्वकांक्षी जिलों को कवर करने के लिए करीब 130 लाख मीट्रिक टन पोषणयुक्त चावल की जरूरत है।
- इसके लिए देश में एफआरके की आपूर्ति क्षमता को करीब 1.3 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ाने की जरूरत है। अगर समूचे पीडीएस की चावल आपूर्ति को, जो कि मौजूदा समय में 350 लाख मीट्रिक टन है, को पोषणयुक्त चावल की आपूर्ति में बदलना है तो उद्योगों को 3.5 लाख मीट्रिक टन एफआरके की आपूर्ति की निरंतरता को बनाना होगा।