ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने 18 दिसंबर, 2019 को नई दिल्ली में अस्पतालों, स्कूलों और कृषि मंडियों के साथ गांवों का सम्पर्क बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण की शुरूआत की।
इस चरण पर 80,250 करोड़ रुपये लागत आयेगी और यह 2024-25 तक पूरा होगा। इसमें केन्द्र का हिस्सा 53,800 करोड़ रुपये होगा जो परियोजना की कुल लागत का 60 प्रतिशत है। 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकारें उपलब्ध करायेंगी।
पूर्वोत्तर के राज्यों और हिमालयी राज्यों में इस परियोजना के लिए 90 प्रतिशत राशि केन्द्र और 10 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा दी जायेगी।
16 दिसंबर 2019 को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत कुल 1,53,491 सड़कों का नेटवर्क बन चुका था जिसके जरिये देश भर में 97.27 प्रतिशत बस्तियों को छह लाख सात हजार नौ सौ किलोमीटर लम्बी सड़कों से जोड़ा जा चुका था।
छत्तीस हजार किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित टेक्नोलॉजीसे किया गया और इनके निर्माण में प्लास्टिक कचरे तथा कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई)
- भारत सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन रणनीती के एक भाग के रूप में संपर्कविहीन बसावटों को संपर्कता प्रदान करने हेतु 25 दिसंबर 2000 को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) आरंभ की गई थी।
- भारत सरकार उच्च एवं एक समान तकनीकी व प्रबंधन मानक स्थापित करने तथा राज्य स्तर पर नीति परिवद्र्धन एवं आयोजन सुकर करने का प्रयत्न कर रही है ताकि ग्रामीण सड़क नेटवर्क को धारणीय प्रबंधन सुनिश्चित कराया जा सके।
- इसका उद्देश्य निर्धारित आकार (2001 की जनगणना के अनुसार 500+मैदानी क्षेत्र तथा 250+ पूर्वोत्तर, पर्वतीय, जनजातीय और रेगिस्तानी क्षेत्र) के सड़क कनेक्टिविटी से अछूते पात्र रिहायशी क्षेत्र के लिए सभी मौसम के अनुकूल एकल सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करना था, ताकि क्षेत्र का समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास हो सके। 97 प्रतिशत पात्र और सम्भाव्य रिहायशी क्षेत्र सभी मौसम के लिए अनुकूल सड़कों से जुड़ गये है।