तमिलनाडु के अतिरिक्त सभी राज्यों ने “पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता” (Special Assistance to States for Capital Expenditure) की हाल ही में घोषित योजना का लाभ उठा लिया है।
पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता (Special Assistance to States for Capital Expenditure)
- इस योजना की घोषणा वित्त मंत्री द्वारा 12 अक्तूबर, 2020 को आत्म निर्भर भारत पैकेज के एक हिस्से के रूप में की गई थी।
- इस योजना का उद्देश्य उन राज्य सरकारों द्वारा पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देना है, जो कोविड-19 महामारी की वजह से कर राजस्व में हुई कमी के कारण इस वर्ष कठिन वित्तीय परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।
- पूंजीगत व्यय का उच्चतर गुणक प्रभाव होता है जो अर्थव्यवस्था की भविष्य की उत्पादक क्षमता को बढ़ाता है और इसका परिणाम अर्थव्यवस्था वृद्धि की उच्चतर दर के रूप में आता है। इसलिए केन्द्रीय सरकार की प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के बावजूद वित्त वर्ष 2020-21 में पूंजीगत व्यय के संबंध में राज्य सरकारों को विशिष्ट सहायता देने का निर्णय किया गया।
योजना के तीन भाग हैं:
- योजना का भाग-1 पूर्वोत्तर क्षेत्र को कवर करता है। इस हिस्से के तहत, पूर्वोत्तर के सात राज्यों (अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा) को 200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अधिक आबादी और भौगोलिक क्षेत्र को देखते हुए, असम को इस योजना के तहत 450 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
- योजना का भाग-2 अन्य सभी राज्यों के लिए है, जिन्हें भाग-1 में शामिल नहीं किया गया है। इस भाग के लिए 7500 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। इस राशि का आवंटन इन राज्यों के बीच वर्ष 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग की अंतरिम मंजूरी के अनुरूप केन्द्रीय कर के उनके हिस्से के अनुपात में किया गया है।
- योजना के भाग-3 का लक्ष्य राज्यों में विभिन्न लोक केन्द्रित सुधारों को बढ़ावा देना है। इस भाग के तहत, 2000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। यह राशि केवल उन्हीं राज्यों को उपलब्ध होगी, जिन्होंने सुधार संबंधित अतिरिक्त उधारी अनुमतियों के संबंध में वित्त मंत्रालय द्वारा दिनांक 17 मई, 2020 के अपने पत्र में निर्दिष्ट चार सुधारों में से कम से कम तीन सुधार कार्यान्वित किए हैं। ये चार सुधार हैं- एक राष्ट्र एक राशन कार्ड, व्यवसाय करने की सुगमता सुधार, शहरी स्थानीय निकाय/उपयोगिता सुधार तथा बिजली क्षेत्र सुधार।