अघरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में महाराष्ट्र और कर्नाटक में पादप समूह पाइपवोर्ट (pipeworts: Eriocaulon) की दो नई प्रजातियों को खोजा है जिन्हें उनके विभिन्न औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है।
- पश्चिमी घाट- जोकि जैविक विविधता के लिहाज से दुनिया के पैंतीस हॉट-स्पॉटों में से एक है – में दो नई प्रजातियों को खोजा गया है।
- पाइपवोर्ट (इरियोकोलोन) के नाम से प्रसिद्ध यह पादप समूह, जो मानसून के दौरान एक छोटी अवधि के भीतर अपने जीवन चक्र को पूरा करता है, भारत की लगभग 111 प्रजातियों वाले पश्चिमी घाट की महान विविधता को दर्शाता है।
- इस पादप समूह की अधिकांश प्रजातियां पश्चिमी घाट एवं पूर्वी हिमालय में पायी जाती हैं तथा इनमें से लगभग 70% देशज हैं।
- इनमें से एक प्रजाति, इरियोकोलोन सिनेरियम (Eriocaulon cinereum), अपने कैंसर रोधी, पीड़ानाशक, सूजनरोधी एवं स्तंभक गुणों के लिए प्रसिद्ध है। ई. क्विन्क्वंगुलारे का उपयोग यकृत रोगों के उपचार में किया जाता है।
- ई. मैडियीपैरेंस (E. madayiparense) केरल में पाया जाने वाला एक जीवाणुरोधी है। खोजी गई इन नई प्रजातियों के औषधीय गुणों का पता लगाया जाना अभी बाकी है।
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