मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अफ्रीकी चीतों को भारत में लाने के लिए पांच विशेषज्ञों की एक टीम नामीबिया जा रही है। चीता स्थानान्तरण परियोजना का उद्देश्य अफ्रीकी चीतों को भारत लाना है, जहां 1952 में भारतीय चीतों को विलुप्त घोषित किया गया था।
- भारत ने ईरान से एशियाई चीतों को प्राप्त करने की कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। ईरान ने कम चीता होने का हवाला देकर भारत के आग्रह को स्वीकार नहीं किया।
- मौजूदा चीता स्थानान्तरण परियोजना (cheetah translocation project) पहली बार 2009 में शुरू की गई थी, लेकिन जनवरी 2020 में जाकर सुप्रीम कोर्ट ने अफ्रीका से भारत में चीतों के स्थानांतरण के लिए सहमति व्यक्त की।
- चीतों को मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर और मुरैना जिलों के कुनो-पालपुर नेशनल पार्क में लाया जाएगा। यहाँ उन्हें अस्थायी रूप से एक बाड़े में रखा जाएगा ताकि वे अपने परिवेश से परिचित हो सकें।
चीता के बारे में
- ‘चीता’ शब्द संस्कृत के चित्रक से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘चित्तीदार’। एशियाटिक चीता (Asiatic Cheetah) के शुरुआती साक्ष्य 2500 से 2300 ईसा पूर्व में मध्य प्रदेश के ऊपरी चंबल घाटी में खारवई और खैराबाद गुफा चित्रों में पाए गए हैं।
- वर्ष 1947 में आज़ादी के पश्चात चीता एकमात्र बड़ा मांसाहारी जानवर है जिसे विलुप्त घोषित कर दिया गया है।
- वर्ष 1947 में, छत्तीसगढ़ के देवघर के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह ने कथित तौर पर भारत में अंतिम ज्ञात चीता की हत्या कर दी थी । बाद में 1952 में, चीता को आधिकारिक रूप से भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
- एशियाई चीता को IUCN रेड लिस्ट में “गंभीर रूप से संकटापन्न ” (Critically Endangered) प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है, और माना जाता है कि यह केवल ईरान में ही जीवित है।
- हालाँकि अफ्रीका में 7,100 अफ़्रीकी चीते जंगलों में जरूर बचे हुए हैं।