कैलाश-मानसरोवर यात्रा और सीमा क्षेत्र कनेक्टिविटी में एक नए युग की शुरुआत करते हुए रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 8 मई 2020 को धारचूला (उत्तराखंड) से लिपुलेख (चीन सीमा) तक सड़क मार्ग का उद्घाटन किया।
- इस सड़क लिंक के पूरा होने के साथ, कैलाश-मानसरोवर की तीर्थयात्रा एक सप्ताह में पूरी हो सकती है, जबकि पहले 2-3 सप्ताह का समय लगता था।
- यह सड़क घटियाबगड़ से निकलती है और कैलाश-मानसरोवर के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रापरसमाप्त होती है।
- 80 किलोमीटर लम्बी इस सड़क की ऊंचाई 6,000 से 17,060 फीट तक है।इस परियोजना के पूरा होने के साथ, अब कैलाश-मानसरोवर के तीर्थयात्री जोखिम भरे व अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाके के मार्ग पर कठिन यात्रा करने से बच सकेंगे। वर्तमान में, सिक्किम या नेपाल मार्गों से कैलाश-मानसरोवर की यात्रा में लगभग दो से तीन सप्ताह का समय लगता है।
- लिपुलेख मार्ग में ऊंचाई वाले इलाकों से होकर 90 किलोमीटर लम्बे मार्ग की यात्रा करनी पड़ती थी। इसमें बुजुर्ग यात्रियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
- सिक्किम और नेपाल के रास्ते अन्य दो सड़क मार्ग हैं। इसमें भारतीय सड़कों पर लगभग 20 प्रतिशत यात्रा और चीन की सड़कों पर लगभग 80 प्रतिशत यात्रा करनी पड़ती थी। घटियाबगड़-लिपुलेख सड़क के खुलने के साथ, यह अनुपात उलट गया है। अब मानसरोवर के तीर्थयात्री भारतीय भूमि पर 84 प्रतिशत और चीन की भूमि पर केवल 16 प्रतिशत की यात्रा करेंगे।