ड्रोन संचालन के लिए भारत के हवाई क्षेत्र का मानचित्र जारी

आत्मनिर्भर भारत के अपने सामूहिक दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक और कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने 24 सितंबर 2021 को ड्रोन संचालन के लिए भारत के हवाई क्षेत्र का मानचित्र (India’s airspace map for drone operations) जारी किया है। यह मानचित्र डीजीसीए के डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म https://digitalsky.dgca.gov.in/home पर उपलब्ध है। ड्रोन हवाई क्षेत्र मानचित्र 25 अगस्त 2021 को केंद्र सरकार द्वारा जारी उदारीकृत ड्रोन नियम, 2021,15 सितंबर 2021 को जारी ड्रोन के लिए पीएलआई योजना और 15 फरवरी 2021 को जारी किए गए भू-स्थानिक डेटा दिशानिर्देशों के अनुवर्ती के रूप में आता है। ये सभी नीति सुधार आगामी ड्रोन क्षेत्र में जबरदस्त विकास को बढ़ावा देंगे।

नियम एवं विशेषताएं

  • ड्रोन हवाई क्षेत्र का नक्शा भारत का एक परस्पर प्रभावकारी मानचित्र है जो पूरे देश में पीले और लाल क्षेत्रों (Yellow and Red Zone) का सीमांकन करता है।
  • हरा क्षेत्र (Green Zone) 400 फीट तक का हवाई क्षेत्र है जिसे लाल या पीले क्षेत्र ( Yellow and Red Zone) के रूप में निर्धारित नहीं किया गया है; और एक परिचालित हवाई अड्डे की परिधि से 8-12 किमी के बीच स्थित क्षेत्र से 200 फीट ऊपर
  • हरे क्षेत्र में, 500 किलोग्राम तक वजन वाले ड्रोन के संचालन के लिए किसी भी तरह की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
  • एक निर्दिष्ट हरे क्षेत्र में पीला क्षेत्र 400 फीट से ऊपर का हवाई क्षेत्र है; एक परिचालित हवाई अड्डे की परिधि से 8-12 किमी के बीच स्थित क्षेत्र में 200 फीट से ऊपर और एक परिचालित हवाई अड्डे की परिधि से 5-8 किमी के बीच स्थित क्षेत्र में जमीन के ऊपर
  • पीले क्षेत्र में ड्रोन संचालन के लिए मामले के अनुसार संबंधित हवाई यातायात नियंत्रण प्राधिकरण- एएआई, आईएएफ, नौसेना, एचएएल आदि से अनुमति की आवश्यकता होती है।
  • पीले क्षेत्र कोहवाई अड्डे की परिधि से पहले के 45 किमी से घटाकर 12 किमी कर दिया गया है।
  • लाल क्षेत्र ‘नो-ड्रोन ज़ोन’ है जिसके भीतर केंद्र सरकार की अनुमति के बाद ही ड्रोन का संचालन किया जा सकता है।
  • हवाई क्षेत्र के नक्शे को अधिकृत संस्थाओं द्वारा समय-समय पर संशोधित किया जा सकता है।
  • ड्रोन संचालित करने की योजना बनाने वाले किसी भी व्यक्ति को क्षेत्र की सीमाओं में किसी भी बदलाव के लिए नवीनतम हवाई क्षेत्र के नक्शे की अनिवार्य रूप से जांच करनी चाहिए।
  • ड्रोन निर्माण उद्योग का वार्षिक बिक्री कारोबार 2020-21 में 60 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 900 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। ड्रोन निर्माण उद्योग से अगले तीन वर्षों में 10,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।

क्यों जरूरी हैं ड्रोन?

  • ड्रोन अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में जबरदस्त लाभ प्रदान करते हैं। इनमें कृषि, खनन, बुनियादी ढांचा, निगरानी, ​​​​आपातकालीन प्रतिक्रिया, परिवहन, भू-स्थानिक मानचित्रण, रक्षा और कानून प्रवर्तन शामिल हैं। ड्रोन अपनी पहुंच, बहुमुखी प्रतिभा और उपयोग में आसानी के कारण विशेष रूप से भारत के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में रोजगार और आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण सृजनकर्ता हो सकते हैं।
  • नवाचार, सूचना प्रौद्योगिकी, मितव्ययी अभियांत्रिकी और इसकी विशाल घरेलू मांग की पारंपरिक क्षमता को देखते हुए, भारत में 2030 तक वैश्विक ड्रोन हब बनने की क्षमता है।

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