भारतीय मूल के प्रख्यात अमेरिकी कृषि मृदा वैज्ञानिक डॉ. रतन लाल को कृषि क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार माना जाने वाला ‘विश्व खाद्य पुरस्कार 2020’ से सम्मानित किया गया है। पुरस्कार की घोषणा वाशिंगटन स्थित वर्ल्ड फूड प्राइज फाउंडेशन के प्रेसिडेंट बारबारा स्टिंसन ने की।
डॉक्टर लाल ने चार महाद्वीपों तक फैले और अपने पांच दशक से अधिक के करियर में मिट्टी की गुणवत्ता को बचाए रखने की नवीन तकनीकों को बढ़ावा देकर 50 करोड़ से अधिक छोटे किसानों की आजीविका को लाभ पहुंचाया है, दो अरब से ज्यादा लोगों की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में सुधार किया है और करोड़ों हेक्टेयर प्राकृतिक उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिकी तंत्रों को संरक्षित किया है।
वे पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के छात्र भी रह चुके हैं और इसे संस्थान से विश्व खाद्य पुरस्कार जीतने वाले वे दूसरे व्यक्ति हैं। उनसे पहले प्लांट ब्रीडर डॉ. गुरदेव सिंह खुश को भी विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
प्रोफेसर रतन लाल फिलहाल अमेरिका के ओहायो विश्वविद्यालय में मृदा विज्ञान के प्रोफेसर हैं, साथ ही वे इस विश्वविद्यालय के कार्बन मैनेजमेंट एंड सीक्वेस्ट्रेशन सेंटर के संस्थापक निदेशक भी हैं।
डॉ. लाल का जन्म 1944 में पश्चिम पंजाब के करयाल में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है । 1947 में, जब भारत को स्वतंत्रता मिली, लाल का परिवार हरियाणा के राजौंद में शरणार्थियों के रूप में रहने लगा।
लाल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से पूरी की और एमएससी दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से की।
विश्व खाद्य पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1986 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नॉर्मन बोरलॉग द्वारा की गई थी। वर्ल्ड फूड प्राइज फाउंडेशन अमेरिका के डेस मोइनेस, आयोवा में स्थित है और इस पुरस्कार के प्रथम विजेता भारत की हरित क्रांति के जनक डॉ. एमएस स्वामीनाथन हैं जिन्हें 1987 में पुरस्कृत किया गया था। पुरस्कार के रूप में 2,50,000 अमेरिकी डॉलर राशि प्रदान की जाती है।