ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़ी सीएसआईआर और केवीआईसी की संयुक्त पहल

उमाशंकर मिश्र (Twitter handle : @usm_ 1984 )

नई दिल्ली, 05 नवंबर (इंडिया साइंस वायर): ग्रामीण उद्योगों और कृषि में नवीनतम तकनीकों के उपयोग से गांवों की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में मदद मिल सकती है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के साथ मिलकर काम करने को लेकर एक नई पहल की गई है, जो ग्रामीण अर्थव्यस्था को मजबूती देने में मददगार हो सकती है।

एक नए समझौते के अंतर्गत इन दोनों संस्थाओं ने मुख्य रूप से शहद के उत्पादन एवं परीक्षण, हनी (शहद) मिशन, अरोमा मिशन और प्रस्तावित फ्लोरीकल्चर मिशन को बढ़ावा देने के लिए एक साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई है।इस पहल के तहत सीएसआईआर की प्रौद्योगिकियों पर आधारित उत्पादों को प्रमुख केवीआईसी केंद्रों पर प्रदर्शित किए जाने की संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि ऐसा करने से सीएसआईआर द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों की पहुंच को बड़े पैमाने पर लोगों के बीच बढ़ाया जा सकता है।

केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना (बाएं)और सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे (दाएं)

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने कहा है कि केवीआईसी के साथ किया गया यह समझौता समाज में व्यापक स्तर पर बदलाव लाने में मददगार हो सकता है।सीएसआईआर लंबे समय से विभिन्न क्षेत्रों में शोध एवं विकास के कार्य में जुटा है और इस दौरान कई महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, उत्पादों और वैज्ञानिक प्रक्रियाओं के विकास में इस संस्थान की भूमिका बेहद अहम रही है। कृषि एवं पोषण के क्षेत्र में सीएसआईआर का कार्य मुख्य रूप से खाद्य प्रसंस्करण, फ्लोरीकल्चर और औषधीय एवं सगंध पौधों पर आधारित उत्पादों के विकास पर केंद्रित रहा है।

खादी और ग्रामीण उद्योगों के विकास से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों के अलावा केवीआईसी गांवों में शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिएहनी मिशन संचालित कर रहा है। इसका उद्देश्य किसानों एवं ग्रामीण बेरोजगार युवकों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रोत्साहित एवं प्रशिक्षित करना है। इस मिशन के तहत गांवों में मधुमक्खी पालन की आधुनिक तकनीकों को लोकप्रिय बनाने और उन पर अमल करने पर जोर दिया जा रहा है। (इंडिया साइंस वायर)

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