इंफोसिस के सह-संस्थापक श्री कृस गोपालकृष्णन की अध्यक्षता में केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा गठित नौ सदस्यीय समिति ने गैर-व्यक्तिगत डेटा (non-personal data) को घरेलू निजी कंपनियों एवं इकाइयों के साथ साझा करने का सुझाव दिया है ।
‘गैर-व्यक्तिगत अभिशासन रूपरेखा’ (Expert Committee on Non-Personal Data Governance Framework) कमेटी ने यह भी सुझाव दिया है कि सरकार साझा किये गये गैर-व्यक्तिगत डेटा के उपयोग पर निगरानी के लिए एक नया प्राधिकार गठित करे।
क्या है गैर-व्यक्तिगत डेटा?
ऐसे सभी डेटा समुच्चय जिनसे किसी व्यक्ति पहचान सामने नहीं आती हो, को गैर-व्यक्तिगत डेटा कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई व्यक्ति ऑनलाईन ऑर्डर देकर खाना मंगवाता है तो उसके ऑर्डर में उसका नाम, लिंग, आयु, आवासीय पता होने पर उसका नामतथा पता को छिपा लिया जाए। इससे यह ज्ञात करना मुश्किल हो जाएगा वह व्यक्ति कौन सा है।
गैर-व्यक्तिगत डेटा के प्रकार
सरकार द्वारा गठित कमेटी ने गैर-व्यक्ति डेटा को तीन हिस्सों में बांटा हैः
1. सार्वजनिक गैर-व्यक्तिगत डेटा (Public non-personal data): सरकार एवं उसकी एजेंसियों द्वारा संग्रहित डेटा इस श्रेणी में शामिल हैं जैसे जनगणना या नगर निगम या कुल कर प्राप्तियां के रूप में संग्रहित डेटा।
2. सामुदायिक गैर-व्यक्तिगत डेटा (Community non-personal data): उन सभी लोगाेंं की डेटा जो समान भौगोलिक क्षेत्र, धर्म या नौकरी या आम हितों से संबंधित हैं। जैसे कि ऐप या टेलीकॉम या विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा संग्रहित डेटा।
3. निजी गैर-व्यक्तिगत डेटा (private non-personal data): किसी व्यक्ति द्वारा सृजित डेटा इस श्रेणी में आती हैं।
(Source: Indian Express)