केंद्र सरकार ने कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए क्लिनिकल परामर्श में संशोधन करते हुए मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल को नैदानिक प्रबंधन दिशा-निर्देश से हटा दिया।
- सरकार ने पाया कि कोरोना मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी गंभीर बीमारी को दूर करने और मौत के मामलों में कमी लाने में मददगार साबित नहीं हुई है।
- भारत सरकार के कोविड कार्यबल ने क्लीनिकल गाइडेंस फार मैनेजमेंट आफ अडल्ट कोविड-19 पेशेंट्स को संशोधित करते हुए उसमें से स्वस्थ हुए व्यक्ति के प्लाज्मा (आफ लेबल) को हटा दिया ।
- उल्लेखनीय है कि पिछली दिशा निर्देशों में मॉडरेट स्तर की बीमारी के शुरआती दौर में (लक्षण दिखने के सात दिनों के भीतर) प्लाज्मा थेरेपी के ‘आफ लेबल’ इस्तेमाल की सिफारिश की गई थी।
- इससे पूर्व कई विशेषज्ञों ने कोविड इलाज में प्लाज़्मा उपचार के प्रति आगाह किया था। वैक्सीनोलॉजिस्ट गगनदीप कांग, सर्जन प्रमेश सीएस एवं अन्य द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया था कि प्लाज्मा थेरेपी का तर्कहीन इस्तेमाल ज्यादा खतरनाक विषाणुओं की स्ट्रेन के विकसित होने की संभावना को बढ़ाता है।