संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग के अंतर्गत टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) ने उपभोक्ता इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) उपकरणों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से वैश्विक मानकों एवं सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप एक आधारभूत आवश्यकता के रूप में “कोड ऑफ प्रैक्टिस फॉर सेक्योरिंग कंज्यूमर इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)” नाम की एक रिपोर्ट जारी की है।
- ये दिशानिर्देश उपभोक्ता आईओटी उपकरणों एवं इकोसिस्टम को सुरक्षित करने के साथ-साथ इससे संबंधित कमजोरियों के प्रबंधन में मदद करेंगे। यह रिपोर्ट आईओटी उपकरणों के निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं / सिस्टम इंटीग्रेटर्स और एप्लिकेशन डेवलपर्स आदि के उपयोग के लिए है।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) दुनिया भर में बेहद तेजी से उभरती हुई तकनीकों में से एक है, जोकि समाज, उद्योग और उपभोक्ताओं के लिए व्यापक लाभकारी अवसर प्रदान करती है।
- इस तकनीक का उपयोग कनेक्टेड उपकरणों की सहायता से बिजली, मोटर वाहन, सुरक्षा एवं निगरानी, दूरस्थ स्वास्थ्य प्रबंधन, कृषि, स्मार्ट होम और स्मार्ट सिटी आदि जैसे विभिन्न कार्यक्षेत्रों में स्मार्ट बुनियादी ढांचे के निर्माण में किया जा रहा है।
- दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा जारी राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (एनडीसीपी) 2018 के अनुसार, वर्ष 2022 तक पांच बिलियन कनेक्टेड उपकरणों के लिए एक इकोसिस्टम बनाया जाना है।
- इसलिए, यह उम्मीद की जाती है कि वर्ष 2022 तक भारत में पांच बिलियन का लगभग 60 प्रतिशत यानी तीन बिलियन कनेक्टेड उपकरण मौजूद हो सकते हैं।