शोधकर्ताओं के एक दल ने केरल के वायनाड वन्यजीव अभयारण्य से मकड़ी की एक नई प्रजाति की खोज की है। वन रेंज थोलपेट्टी के नाम पर नई प्रजाति का नाम कैरहोटस थोलपेटेन्सिस (Carrhotus tholpettyensis) रखा गया है, जहां से इसे प्राप्त किया गया था।
- यह प्रजाति पश्चिमी घाट में वन्यजीव अभयारण्य के थोलपेट्टी रेंज के नम पर्णपाती जंगल से पाई गई थी। Carrhotus tholpettyensis रात में उछाल मारने वाली मकड़ी (nocturnal jumping spider ) है जो दिन के समय पत्तियों के नीचे छिप जाती है और केवल रात में भोजन करने के लिए बाहर आती है।
- भारत से अब तक जम्पिंग स्पाइडर की 287 प्रजातियां सामने आई हैं। रूस से प्रकाशित वैज्ञानिक पत्रिका आर्थ्रोपोडा सिलेक्टा में इसकी खोज की सूचना दी गयी है।
वायनाड वन्यजीव अभयारण्य
- केरल में वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (Wayanad Wildlife sanctuary) 1973 में स्थापित किया गया था।
- यह तीन जैविक रूप से अलग और विविध क्षेत्रों- मुख्य पश्चिमी घाट पर्वत, नीलगिरी पहाड़ियों और दक्कन पठार के संगम पर स्थित वायनाड पठार (लगभग 3000 किमी 2) को शामिलकरता है।
- वायनाड के संरक्षित क्षेत्र उत्तर पूर्व में कर्नाटक के नागरहोल और बांदीपुर टाइगर रिजर्व के संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क और दक्षिण-पूर्व में तमिलनाडु के मुदुमलाई टाइगर रिजर्व के साथ अपनी सीमाएं साझा करते हैं।
- यह अभयारण्य नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व (5,520 किमी 2) और दक्षिण भारत के हाथी रिजर्व नंबर 7 का एक घटक है।
- कुरुमा, पनिया, कट्टुनाइका, उरली, कुरिचियार और अडियार कुछ आदिवासी समुदाय हैं जो इस क्षेत्र में निवास करते हैं।