प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट को भारत के भू-विज्ञान मंत्रालय और स्वीडन के शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्रालय के बीच ध्रुवीय विज्ञान में सहयोग पर समझौते से अवगत कराया गया है। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर 2 दिसंबर, 2019 को हुए थे।
- भारत और स्वीडन दोनों ने अंटार्कटिक संधि और पर्यावरण सुरक्षा पर अंटार्कटिक संधि के मसविदा पर हस्ताक्षर किए हैं।
- आठ आर्कटिक देशों में से एक स्वीडन आर्कटिक परिषद का एक सदस्य है जबकि भारत को आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक का दर्जा मिला हुआ है। स्वीडन दोनों ध्रुवीय क्षेत्रों आर्कटिक और अंटार्कटिक में कई वैज्ञानिक कार्यक्रम चला रहा है। इसी तरह भारत महासागरीय क्षेत्र सहित दोनों ध्रुवीय क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रम चला रहा है।
- ध्रुवीय विज्ञान में भारत और स्वीडन के बीच इस सहयोग से दोनों देशों को एक दूसरे की उपलब्ध विशेषज्ञता साझा करने मे मदद मिलेगी।
आर्कटिक परिषद
- आर्कटिक परिषद विशेष रूप से आर्कटिक में सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के मुद्दों पर आर्कटिक देशों , आर्कटिक स्वदेशी समुदायों और आम आर्कटिक निवासियों के बीच सहयोग, समन्वय और बातचीत को बढ़ावा देने वाला अग्रणी अंतर-सरकारी फोरम है।
- ओटावा घोषणा निम्नलिखित देशों को आर्कटिक परिषद के सदस्यों के रूप में सूचीबद्ध करती है: कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, रूसी संघ, स्वीडन और संयुक्त राज्य अमेरिका।
अंटार्कटिक संधि
- वाशिंगटन में अंटार्कटिक संधि पर 1 दिसंबर 1959 को बारह देशों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे जिनके वैज्ञानिक 1957-58 के अंतर्राष्ट्रीय भूभौतिकीय वर्ष (IGY) के दौरान अंटार्कटिका में और उसके आसपास सक्रिय थे। यह 1961 में लागू हुआ और तब से कई अन्य राष्ट्रों द्वारा इसे स्वीकार किया गया है। संधि में पार्टियों की कुल संख्या अब 54 है।