केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (Hydroflurocarbons: HFCs)) के उपयोग को चरणबद्ध तरीके समाप्त करने के लिए ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों से संबंधित मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किए गए किगाली संशोधन के अनुसमर्थन को स्वीकृति दे दी है।
- इस संशोधन को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के लिए अक्टूबर, 2016 में रवांडा के किगाली में आयोजित मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकारों की 28वीं बैठक के दौरान अंगीकृत किया गया था।
- एचएफसी के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से बंद करने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद मिलेगी और इससे लोगों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
- किगाली संशोधन के तहत; मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उत्पादन और खपत को कम कर देंगे, जिसे आमतौर पर एचएफसी के रूप में जाना जाता है।
- हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) को क्लोरोफ्लोरोकार्बन के गैर-ओजोन क्षयकारी विकल्प के रूप में पेश किया गया था, जबकि एचएफसी स्ट्रेटोस्फेरिक की ओजोन परत को कम नहीं करते हैं, इनमें 12 से 14,000 तक उच्च ग्लोबल वार्मिंग की क्षमता होती है, जिसका जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकारों ने एचएफसी के उपयोग में वृद्धि को स्वीकार करते हुए, विशेष रूप से रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग क्षेत्र में, एचएफसी को सूची में जोड़ने के लिए अक्टूबर 2016 में रवांडा के किगाली में आयोजित पक्षकारों की 28वीं बैठक (एमओपी) में इस समझौते पर सहमति जताई थी। बैठक में नियंत्रित पदार्थों और 2040 के अंत तक इन पदार्थों में 80-85 प्रतिशत तक की क्रमिक कमी के लिए एक समय-सीमा को भी मंजूरी दी गई।
- भारत 2032 से 4 चरणों में एचएफसी के अपने चरण को 2032 में 10%, 2037 में 20%, 2042 में 30% और 2047 में 80% की संचयी कमी के साथ पूरा करेगा।
- हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को चरणबद्ध तरीके से कम करने से ग्रीनहाउस गैसों के बराबर 105 मिलियन टन कार्बनडाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोकने की उम्मीद है, जिससे 2100 तक वैश्विक तापमान में वृद्धि को 0.5 डिग्री सेल्सियस तक कम करने में मदद मिलेगी, जबकि इससे ओजोन परत की रक्षा को भी सुनिश्चित किया जाना जारी रहेगा।