भारतीय वैज्ञानिकों ने एम ड्वार्फ तारों (M dwarfs) के मूलभूत मापदंडों को खोजने के लिए वर्णक्रमीय सूचकांकों के उपयोग को संभव बनाते हुए कुछ प्रयोगसिद्ध संबंध स्थापित किए हैं, जो उन तारों को संभावित रूप से आबाद रह सकने वाले के तौर पर (habitable) पहचान सकते हैं।
- भारत के हानले में स्थित 2-एम हिमालयन चंद्र टेलीस्कोप (एचसीटी) पर टीआईएफआर नियर-इन्फ्रारेड (एनआईआर) स्पेक्ट्रोमीटर और इमेजर (टीआईआरएसपीईसी) उपकरण का उपयोग कर कुल 53 एम ड्वार्फ तारों का अध्ययन किया गया, इसके पश्चात निष्कर्ष पर पहुंचा गया।
एम ड्वार्फ
- एम ड्वार्फ सभी तारों में से सबसे नन्हें तारे हैं जिनका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 8 प्रतिशत से लेकर लगभग 50 प्रतिशत है।
- हमारी आकाशगंगा के सभी तारों में से 70% से अधिक तारे एम ड्वार्फ हैं (जिन्हें लाल बौनों के रूप में भी जाना जाता है)।
- संख्या के लिहाज से समस्त तारकीय आबादी पर इन तारों का वर्चस्व है। लंबे समय से, वैज्ञानिकों ने उन्हें आबाद रह सकने वाले ग्रहों की श्रेणी में नहीं माना है। जैसाकि नए सबूत से पता चलता है कि ग्रह प्रणालियों की घटना, विशेष रूप से ‘रहने योग्य क्षेत्रों’ में परिक्रमा करते पृथ्वी जैसे ग्रह, की संभावना घटते तारकीय द्रव्यमान और त्रिज्या के साथ बढ़ जाती है।
- एम ड्वार्फ तारे अपनी निकटता, छोटे आकार और कम द्रव्यमान के कारण संभावित रह सकने वाले अतिरिक्त -ग्रह खोजों के आकर्षक लक्ष्य बन रहे हैं।
- नासा के केपलर मिशन का मानना है कि एम ड्वार्फ तारों का चट्टानी ग्रहों के साथ झुंड में रहने की वजह से इन कम-द्रव्यमान वाले तारों की प्रकृति का निर्धारण महत्वपूर्ण हो गया है।
CLICK HERE FOR BPSC, UPPCS, JPSC, MPPSC, RPSC, SSC, CDS, NDA CURRENT AFFAIRS HINDI MCQ