एमएसएमई को राहत और ऋण संबंधी सहायता देने के लिए अहम उपायों की घोषणा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 12 मई 2020 को भारत की जीडीपी के 10% के बराबर 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा की। उन्‍होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए स्‍पष्‍ट आह्वान किया। इसके साथ ही उन्‍होंने आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभों यथा अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली, युवा आबादी या शक्ति और मांग को भी रेखांकित किया।

इसी क्रम में वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 12 मई 2020 को उन उपायों की घोषणा की जिनका उद्देश्‍य कामकाज फि‍र से शुरू करना है अर्थात कर्मचारियों एवं नियोक्ताओं, व्यवसायों, विशेषकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्‍यम उद्यमों (एमएसएमई) को फि‍र से उत्‍पादन कार्य में संलग्‍न करना और कामगारों को फि‍र से लाभकारी रोजगारों से जोड़ना है।

  • एमएसएमई सहित व्‍यवसायों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की आपातकालीन कार्यशील पूंजी सुविधा (collateral-free bank loans for small businesses ): व्यवसायों को राहत देने के लिए 29 फरवरी 2020 तक बकाया ऋण के 20% की अतिरिक्त कार्यशील पूंजी रियायती ब्‍याज दर पर सावधि ऋण (टर्म लोन) के रूप में प्रदान की जाएगी। यह राहत 25 करोड़ रुपये तक के बकाया ऋण और 100 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली उन इकाइयों के लिए उपलब्ध होगी, जिनके खाते मानक हैं। इन इकाइयों को अपनी ओर से कोई भी गारंटी या जमानत नहीं देनी होगी। इस राशि पर 100% गारंटी भारत सरकार द्वारा दी जाएगी जो 45 लाख से भी अधिक एमएसएमई को 3.0 लाख करोड़ रुपये की कुल तरलता (लिक्विडिटी) प्रदान करेगी।
  • कर्ज बोझ से दबे एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ रुपये का अप्रधान ऋण (Subordinate Debt for Stressed MSMEs): उन दो लाख एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ के अप्रधान ऋण का प्रावधान किया गया है जो एनपीए से जूझ रहे हैं या कर्ज बोझ से दबे हुए हैं। सरकार सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) को 4,000 करोड़ रुपये देकर उन्‍हें आवश्‍यक सहयोग देगी। यह ऋण अधिकतम 75 लाख रुपये होगा। बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे इस तरह के एमएसएमई के प्रवर्तकों को अप्रधान ऋण प्रदान करेंगे, जो इकाई में उनकी मौजूदा हिस्सेदारी के 15% के बराबर होगा। यह ऋण अधिकतम 75 लाख रुपये होगा।
  • एमएसएमई फंड ऑफ फंड्स के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी सुलभ कराई जाएगी: सरकार 10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ एक फंड ऑफ फंड्स की स्थापना करेगी जो एमएसएमई को इक्विटी फंडिंग सहायता प्रदान करेगा। फंड ऑफ फंड्स का संचालन एक समग्र फंड और कुछ सहायक फंडों के माध्‍यम से होगा। यह उम्मीद की जाती है कि सहायक फंडों के स्तर पर 1:4 के लाभ या प्रभाव की बदौलत फंड ऑफ फंड्स लगभग 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी जुटा सकेगा।
  • एसएमई के लिए अन्य उपाय: निवेश की सीमा बढ़ाकर एमएसएमई की परिभाषा को संशोधित किया जाएगा। टर्नओवर का एक अतिरिक्त मानदंड भी शामिल किया जा रहा है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्‍टर) के बीच के अंतर को भी समाप्त किया जाएगा।
  • ईपीएफ अंशदान को नियोक्ताओं और कर्मचारियों के लिए 3 माह तक घटाया जाएगा: ईपीएफओ द्वारा कवर किए जाने वाले सभी प्रतिष्ठानों के नियोक्ता और कर्मचारी दोनों में से प्रत्‍येक के अनिवार्य पीएफ अंशदान को 3 माह तक मौजूदा 12% से घटाकर 10% कर दिया गया है। इससे प्रति माह लगभग 2,250 करोड़ रुपये की तरलता मिलेगी।
  • ‘स्रोत पर कर कटौती’ (TDS) और ‘स्रोत पर संग्रहीत कर’ की दरों में कटौती – निवासियों को होने वाले सभी गैर-वेतनभोगी भुगतान के लिए टीडीएस दरों, और ‘स्रोत पर संग्रहीत कर’ की दर में वित्त वर्ष 2020-21 की शेष अवधि के लिए निर्दिष्ट दरों में 25 प्रतिशत की कमी की जाएगी। इससे 50,000 करोड़ रुपये की तरलता सुलभ होगी।

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