संयुक्त राष्ट्र की संस्था आईपीसीसी (IPCC) ने 9 अगस्त को दुनिया में जलवायु की स्थिति की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज ने निष्कर्ष निकाला कि पेरिस समझौते का 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि लक्ष्य 2030 के आसपास ही भंग होने की संभावना है – यानी लक्ष्य से एक दशक पहले।
- वर्ष 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते के तहत वैश्विक औसत तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ने देने का लक्ष्य रखा गया था और कहा गया था कि इसे 1.5 डिग्री सेल्सियस पार नहीं होने दिया जाएगा। छठी मूल्यांकन रिपोर्ट के लेखकों के रूप में आईपीसीसी से जुड़े 234 वैज्ञानिकों के एक समूह ने अपने निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए 14,000 शोध पत्रों का व्यापक अध्ययन किया।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले कुछ दशकों में भारत और उपमहाद्वीप में बढ़ती गर्मी की लहरें और सूखा, बारिश की घटनाओं में वृद्धि और अधिक चक्रवाती गतिविधियां होने की संभावना है। भारतीय उपमहाद्वीप का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है, “1850-1900 की तुलना में 2000-2050 के बीच पूरे महाद्वीप में सतह पर अधिक दर से गर्मी बढ़ेगी। और ये रुझान आने वाले दशकों में जारी रहेंगे।” वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया के आसपास हिंद महासागर में सापेक्ष समुद्र का स्तर वैश्विक औसत की तुलना में तेजी से बढ़ा है, साथ ही तटीय क्षेत्र के नुकसान और तटरेखा पीछे खिसकने की दर भी बढ़ी है।
- आईपीसीसी के अनुसार, 1.1 डिग्री तापमान, जो पहले ही दुनिया का बढ़ चुका है, उसमें लगभग 0.3 डिग्री का योगदान मीथेन का है ।
- तेल और गैस उद्योग, कृषि और चावल की खेती से होने वाले इन उत्सर्जन पर काबू पाने से बहुत फ़ायदे हो सकते हैं ।
- पिछला दशक (2010 और 2019) बीते 1.25 लाख वर्षों के मुकाबले काफी गर्म था, जो 1850 से लेकर 1900 के बीच के मुकाबले 2011 से 2020 के दौरान 1.09 डिग्री तापमान अधिक दर्ज किया गया।
IPCC मूल्यांकन रिपोर्ट
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा 1988 में IPCC को स्थापित किया गया था। IPCC स्वयं वैज्ञानिक अनुसंधान में शामिल नहीं होती है। इसके बजाय, वह दुनिया भर के वैज्ञानिकों से जलवायु परिवर्तन से संबंधित सभी जरूरी वैज्ञानिक जानकारी को पढ़ने और तार्किक निष्कर्ष निकालने का आह्वान करता है।
- अब तक कुल पांच मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार की गई हैं। यह छठी रिपोर्ट है। पहली रिपोर्ट 1990 में जारी की गई। पांचवीं मूल्यांकन रिपोर्ट 2014 में पेरिस में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के लिए जारी की गई थी। यह रिपोर्ट दुनिया भर के लिए पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के संबंध में मार्गदर्शक का काम करती है।