सूक्ष्म सिंचाई कोष (AIF)

कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (डीएसीएंडएफडब्ल्यू) देश के सभी राज्यों में साल 2015-16 से एक केंद्रीय प्रायोजित योजना ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ का कार्यान्वयन कर रहा है। यह ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी)’ का घटक हैयह योजना खेत के स्तर पर सूक्ष्म सिंचाई जैसे; ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से जल उपयोग क्षमता में बढ़ोतरी पर केंद्रित है।

  • देश में सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए 2018-19 के दौरान नाबार्ड के साथ 5,000 रुपये की प्रारंभिक पूंजी के साथ एमआईएफ (Micro Irrigation Fund) का निर्माण किया गया था।
  • इस कोष का प्रमुख उद्देश्य पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी के तहत उपलब्ध प्रावधानों से अलग सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहित करने को लेकर किसानों को शीर्ष/अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए संसाधनों को जुटाने में राज्यों को सुविधा प्रदान करना है।
  • राज्य विशेष जरूरतों के आधार पर पीपीपी मोड की परियोजनाओं सहित नवाचार एकीकृत परियोजानों (जैसे, जल की अधिक जरूरत वाली फसलें जैसे गन्ना/सोलर लिंक्ड सिस्टम्स/कमांड क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई आदि) के लिए राज्य एमआईएफ का विशेष रूप से उपयोग कर सकते हैं। वहीं एमआईएफ के तहत भारत सरकार राज्य सरकार को दिए गए ऋणों पर 3 फीसदी ब्याज के रूप में आर्थिक सहायता भी करती है।
  • वर्तमान में संचालित एमआईएफ कोष को तहत आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, पंजाब और उत्तराखंड में 3970.17 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लिए ऋण की मंजूरी दी गई है।
  • इनके माध्यम से 12.83 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाया जाएगा। इसके अलावा राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु एवं जम्मू और कश्मीर से प्राप्त प्रस्ताव राज्य स्तरों पर प्रक्रिया में हैं। वहीं सूक्ष्म सिंचाई क्षमता एवं इसके महत्व पर विचार करके अधिक से अधिक राज्य सूक्ष्म सिंचाई कोष से सहायता प्राप्त करने को लेकर रूचि दिखा रहे हैं।
  • खेतों में जल उपयोग दक्षता बढ़ाने के लिए देश में किसानों द्वारा सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को अपनाने और इसके विकास एवं विस्तार के लिए नाबार्ड के तहत गठित एमआईएफ की प्रारंभिक पूंजी 5,000 करोड़ रुपये को दोगुना करने के लिए बजट में घोषणा की गई है। इसके लिए कोष में 5,000 करोड़ रुपये की राशि और डाली जाएगी।
  • एमआईएफ की प्रारंभिक पूंजी में 5,000 करोड़ रुपये की इस वृद्धि से जल के विवेकपूर्ण उपयोग, जल उपयोग दक्षता में वृद्धि के साथ-साथ उत्पादन एवं उत्पादकता में सुधार को बढ़ाने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रयासों को और बढ़ावा मिलेगा, जो अंतत: किसान समुदाय की आय में वृद्धि करेगा।

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *