न्यू अंब्रेला एंटिटी (NUEs) ) के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक कैश लेनदेने खत्म करने और डिजिटल पेमेंट सिस्टम में नयी कंपनियां शामिल करना चाहता है ।
- डिजिटल पेमेंट पूरी तरह से पारदर्शी और जब इसके जरिए सभी तरह के पेमेंट होंगे तो टैक्स चोरी पर भी नजर रखी जा सकेगी।
- न्यू अंब्रेला एंटिटी को लेकर सरकार कैशलेस इकोनॉमी बनाना चाहती है । वर्तमान में देश में जितने भी ऑनलाइन पेमेंट हो रहे हैं वो सब नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के जरिए हो रहे हैं।
- यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) को एनपीसीआई ही कंट्रोल करता है।
- इस वक्त देश में कई प्लेटफॉर्म के जरिए डिजिटल पेमेंट हो रहे हैं और सभी में यूपीआई का सपोर्ट है।
- अब आरबीआई की सोच है कि आने वाले समय में डिजिटल पेंमेंट की बढ़ती संख्या को अकेले नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया संभाल नहीं पाएगा। इसलिए न्यू अंब्रेला एंटिटी की स्थापना की बात चल रही है।
- NUE की प्रतिस्पर्धा NPCI से होगा।
- न्यू अंब्रेला एंटिटी को छह भागों में बांटा गया है। पहले भाग में रिटेल स्टोर, एटीएम, पीओएस और आधार आधारित पेमेंट को मैनेज करना होगा। पहले हिस्से में पेमेंट के दौरान आने वाली दिक्कतों को भी रखा गया है।
- एनयूई एक गैर-लाभकारी संस्था होगी जो नए भुगतान प्रणालियों को सेट-अप, प्रबंधन और संचालन करेगी, विशेष रूप से खुदरा स्थान जैसे एटीएम, व्हाइट-लेबल पीओएस में; आधार-आधारित भुगतान और प्रेषण सेवाएं।