अरुणाचल प्रदेश में मधुमक्‍खी पालन के लिए 1,000 बक्‍सों का वितरण

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसानों को सशक्‍त बनाने का निरंतर काम कर रहा है ताकि वहां के किसान एमएसएमई की विभिन्‍न योजनाओं के माध्‍यम से अतिरिक्‍त आय की प्राप्ति कर सकें।

केवीआईसी के अध्‍यक्ष श्री वी. के. सक्‍सेना ने 100 किसानों को मधुमक्‍खी पालन के 1,000 बक्‍से वितरित किए। इस अवसर पर अरुणाचल खादी बोर्ड के अध्‍यक्ष श्री तागे ताकी तथा अन्‍य गणमान्‍य अतिथि उपस्थित थे।

शहद मिशन कार्यक्रम

  • शहद मिशन कार्यक्रम ( Honey Mission program ) के महत्‍व की चर्चा करते हुए श्री वी. के. सक्‍सेना ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में फूल पौधों की प्रचूरता है और यहां शहद उत्‍पादक राज्‍य बनने की क्षमता है लेकिन इसका पूरा दोहन नहीं किया गया है। उन्‍होंने कहा कि ऊंचाई से निकाल गया शहद एंटीऑक्‍सीडेंट्स में संपन्‍न हैं और इसे ऊंची कीमत पर बेचा जा सकता है।
  • उन्‍होंने कहा कि पराग, प्रोपोलिस, रॉयल जेली तथा बी वेनम जैसे उत्‍पाद बेचने योग्‍य हैं और मजदूरी के लिए शहरों में जाने वाले किसानों को इन उत्‍पादों की बिक्री से सहायता मिलेगी।
  • हाल की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 200 मिलियन मधुमक्‍खी के छत्ते की क्षमता है जबकि आज देश में 3.4 मिलियन मधुमक्‍खी के छत्ते हैं। उन्‍होंने कहा कि मधुमक्‍खी के छत्तों की संख्‍या बढ़ाने से न केवल मधुमक्‍खी से जुड़े उत्‍पादों में वृद्धि होगी बल्कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि तथा बागवानी उत्‍पादों को समग्र रूप से प्रोत्‍साहन मिलेगा।
  • केवीआईसी ने 2017 से केवल पूर्वोत्तर क्षेत्र में मधुमक्‍खी पालन के 30,000 बक्‍सों का वितरण किया है। इससे लगभग 3,000 शिक्षित बेरोजगार किसानों के लिए मधुमक्‍खी उत्‍पादन में अतिरिक्‍त रोजगार मिल रहा है। इस वर्ष केवीआईसी की योजना अरुणाचल प्रदेश में मधुमक्‍खी पालन के 2,500 बक्‍से वितरण करने की है जबकि लक्ष्‍य अगले वर्ष मधुमक्‍खी पालन के 10,000 बक्‍सों को वितरित किया जाना है।
  • 1960 के बाद पहली बार केवीआईसी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में खादी कारीगरों को प्रोत्‍साहित करने के लिए दो नए खादी संस्‍थानों – यूथ फॉर सोशल वेलफेयर, तवांग तथा रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी, पपुम पारे- को पंजीकृत किया है।

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