भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बेंगलुरु के शोधकर्ताओं की एक टीम ने चन्द्रमा की सतह पर अंतरिक्ष ईंट (space bricks) बनाने के लिए एक स्थायी प्रक्रिया विकसित की है।
प्रक्रिया चन्द्रमा की मिट्टी (lunar soil), बैक्टीरिया और ग्वार फलियों (guar beans) का उपयोग करके भार वहन ईंटें बनाने में सक्षम बनाती है।
अंतरिक्ष ईंटों के रूप में नामित, इसका उपयोग भविष्य में चंद्रमा की सतह पर निवास के लिए संरचनाओं को इकट्ठा करने के लिए किया जा सकता है।
पृथ्वी से ईंटों को भेजना व्यवहार्य नहीं है क्योंकि एक पाउंड की निर्माण सामग्री के परिवहन में 7.5 लाख रुपये लगते हैं।
अब विकसित की गई प्रक्रिया में मानव मूत्र से प्राप्त यूरिया का उपयोग किया गया है, जिसे चंद्रमा पर संरचना बनाने के लिए चन्द्रमा की मिट्टी के साथ मिलाया जा सकता है। इससे कुल व्यय में काफी कमी आती है।
चूंकि सीमेंट के बजाय ग्वार गम का उपयोग किया जाता है, इसलिए कम कार्बन फुटप्रिंट होगा।
बैक्टीरिया ईंट को को किसी भी आकार में क्रिस्टलीकृत करने के लिए जोड़ा जाता है।
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