सर्वोच्च न्यायालय ने 20 अप्रैल 2021 को अपने महत्वपूर्ण निर्णय में भारत के संविधान के अनुच्छेद 224ए के तहत हाईकोर्ट में सेवानिवृत न्यायाधीशों को अस्थायी तौर (ad-hoc judges in High Courts) पर न्यायाधीश नियुक्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हुए दिशा निर्देश जारी किया।
- दुर्लभ स्थिति में ही इस्तेमाल होने वाले संविधान के अनुच्छेद 224ए के तहत किसी राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश किसी समय राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति के साथ उस न्यायालय या अन्य किसी उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के पद पर रहे किसी व्यक्ति से राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर कार्य करने के लिए अनुरोध कर सकते हैं।
- इस सम्बन्ध में मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीशों को किसी भी हाई कोर्ट में लंबित मुकदमों के बोझ को देखते हुए दो से तीन वर्ष के लिए अस्थायी (एडहाक) न्यायाधीश नियुक्त किया जा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने निम्नलिखित स्थितियों में सेवानिवृत न्यायाधीशों को अस्थायी तौर (ad-hoc judges in High Courts ) पर न्यायाधीश नियुक्त करने का निर्देश दिया दिया:
- यदि रिक्तियां स्वीकृत क्षमता का 20% से अधिक हैं।
- एक विशेष श्रेणी के मामले पाँच वर्षों से लंबित हैं।
- लंबित मामलों के बैकलॉग के 10% से अधिक पांच साल से अधिक पुराने हैं,
- या तो किसी विशेष विषय या न्यायालय में, निपटान की दर का प्रतिशत दर्ज मामलों की संख्या की तुलना में कम है।