विदेशी जीवित प्रजातियों के आयात पर पर्यावरण मंत्रालय की एडवाइजरी

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) ने भारत में विदेशी जीवित प्रजातियों (live exotic animals) के आयात से निपटने और स्टॉक की घोषणा के लिए एक परामर्श जारी किया है।

इन जीवों के व्यापार को विनियमित करने के लिए सलाह परामर्श जारी किया गया है क्योंकि ज़ूनोटिक रोगों (जानवरों से फैलने वाले रोग) का मुद्दा भी वन्यजीवों से जुड़ा हुआ है।

परामर्श (एडवाइजरी)

परामर्श केवल “वन्य जीव और वनस्पतियों के लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कन्वेंशन (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora: CITES) के परिशिष्ट I, II और III के तहत नामित वन्य जीवों पर लागू होता है।

एक जीवित विदेशी वन्यजीव आयात करने का प्रयास करने वाले व्यक्ति को एडवाइजरी के प्रावधानों के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) को लाइसेंस देने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत करना होगा।

आयातक को आवेदन के साथ संबंधित राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) भी संलग्न करना होगा।

उन लोगों के लिए जो पहले से ही विदेशी जानवरों का आयात कर चुके हैं, उन्हें छह महीने के भीतर एक घोषणा करनी होगी, जिसके लिए जानवर के सिद्ध होने पर प्रस्तुतियाँ की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, अगर घोषणा छह महीने के बाद की जाती है, तो दस्तावेज जमा करने होंगे।

आलोचना

वैसे इस एडवाइजरी की इस आधार पर आलोचना की जा रही है कि इसे केवल साइट्स (CITES) के परिशिष्टों में शामिल वन्यजीवों पर ही लागू किया गया है, अन्य आक्रामक एवं विदेशी वन्यजीवों को इसमें शामिल नहीं किया गया है।

सुगर ग्लाइडर्स एवं कॉर्न स्नेक्स ऐसे ही विदेशी वन्यजीव हैं जिनका घरेलू स्तर पर काफी व्यापार होता है।

विदेशी जीवित प्रजातियां (live exotic animals) पशु या पौधों की प्रजातियां हैं जो अपनी मूल सीमा (स्थान) से संक्रमण कर एक नए स्थान पर चली जाती हैं । इन प्रजातियों को लोगों द्वारा अक्सर एक नए स्थान पर लाया जाता है।

Source: Down to Earth and MoEFCC (Image: Pixabay)

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