जैव प्रौद्योगिकी विभाग, सरकार में सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डीबीटी (जैव प्रौद्योगिकी विभाग) की पहली ‘वन हेल्थ’ (One Health) परियोजना का शुभारंभ किया।
- इस कार्यक्रम में देश के पूर्वोत्तर भाग सहित भारत में एक नस्ल के दूसरी नस्ल को संक्रामित करने वाले जीवाणु संबंधी, वायरल और परजीवी से होने वाले महत्वपूर्ण संक्रमणों की निगरानी करने की परिकल्पना की गई है।
- जरूरत पड़ने पर मौजूदा नैदानिक परीक्षणों का उपयोग और अतिरिक्त पद्धतियों का विकास निगरानी और उभरती बीमारियों के प्रसार को समझने के लिए अनिवार्य है।
- कोविड-19 ने संक्रामक रोगों के नियंत्रण में ‘एक स्वास्थ्य (वन हेल्थ)’ सिद्धांतों, खासतौर से पूरे विश्व में पशुजन्य रोगों की रोकथाम और उन्हें नियंत्रित करने के प्रयास की प्रासंगिकता दिखा दी। ऐसे संक्रामक कारकों का खतरा बढ़ रहा है जहां एक संक्रमित नस्ल दूसरी नस्ल को संक्रमित करने सक्षम है।
- ऐसा मुख्य रूप से इसलिए है क्योंकि बढ़ती यात्रा, भोजन की आदतों और सीमाओं के पार व्यापार के कारण नए संक्रामक कारक दुनिया भर में तेजी से फैल रहे हैं। इस तरह की बीमारियों का जानवरों, मानव, स्वास्थ्य प्रणालियों और अर्थव्यवस्थाओं पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है, जिसके लिए सामाजिक और आर्थिक सुधार की वर्षों आवश्यकता होती है।
- इसकी तत्काल आवश्यकता को महसूस करते हुए, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने ‘एक स्वास्थ्य’ पर एक जबरदस्त सहायता संघ का समर्थन किया।
CLICK HERE DAILY CURRENT AFFAIRS QUIZ FOR UPPCS, BPSC, RPSC, JPSC, MPPSC PT EXAM