संसद ने 10 फरवरी 2021 को ऐतिहासिक प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 को पारित कर दिया। केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मंडाविया ने 10 फरवरी 2021 को इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया और उच्च सदन द्वारा इसे पारित कर दिया गया।
- बंदरगाहों से जुड़े बुनियादी ढांचे के विस्तार को बढ़ावा देने और व्यापार एवं वाणिज्य को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से, प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 का लक्ष्य निर्णय लेने की प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण और प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन में पेशेवर रवैये का समावेश करना है।
- यह विधेयक प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट कानून 1963 की तुलना में ज्यादा सुगठित है क्योंकि इसमें ओवरलैपिंग करने वाले और पुराने पड़ चुके अनुच्छेदों को समाप्त करके अनुच्छेदों की कुल संख्या 134 से घटाकर 76 कर दी गई है।
- नए विधेयक में बंदरगाह प्राधिकरण के बोर्ड की सरल संरचना का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले मौजूदा 17 से 19 सदस्यों की जगह 11 से 13 सदस्य ही होंगे। पेशेवर स्वतंत्र सदस्यों से लैस एक कॉम्पैक्ट बोर्ड निर्णय लेने की प्रक्रिया और रणनीतिक योजना निर्माण को मजबूतीदेगा।
- प्रमुख बंदरगाहों के लिए तटकर प्राधिकरण की भूमिका नए सिरे से तय की गई है। बंदरगाह प्राधिकरण को अब तटकर तय करने के अधिकार दिए गए हैं, जोकि सार्वजनिक – निजी साझेदारी (पीपीपी) वाली परियोजनों के लिए बोली लगाने के उद्देश्यों के लिए एक संदर्भ तटकर के तौर पर काम करेगा। पीपीपी ऑपरेटर बाजार की स्थितियों के आधार पर तटकर तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड को भूमि सहित बंदरगाह से जुड़ी अन्य सेवाओं और परिसंपत्तियों के लिए शुल्क का पैमाना तय करने के अधिकार दिए गए हैं।
- एक न्यायिक निर्णय करने वाला (एडजुडीकेटरी) बोर्ड बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जो प्रमुख बंदरगाहों के लिए पूर्ववर्ती टीएएमपी के बचे हुए कार्य को पूरा करने, बंदरगाहों और पीपीपी से संबंधित रियायत पाने वालों के बीच उत्पन्न विवादों को देखने, संकट में पड़ी पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने और संकट में पड़ीऐसी पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के तरीके सुझाने और ऐसी परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के उपाय सुझाने और बंदरगाहों/ बंदरगाहों के भीतर काम करने वालेनिजी ऑपरेटरों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को लेकर आई शिकायतों को देखने का काम करेगा।
- यह विधेयक तेज और पारदर्शी निर्णय प्रक्रिया को सुनिश्चित करते हुए सभी हितधारकों एवं और परियोजना को बेहतर तरीके से लागू करने की क्षमता को लाभान्वित करता है।
- इस विधेयक का उद्देश्य सफल वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप केन्द्रीय बंदरगाहों में प्रशासन के मॉडल का पुनर्विन्यास लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल के रूप में करना है।
- इस विधेयक से प्रमुख बंदरगाहों के संचालन में पारदर्शिता लाने में भी मदद मिलेगी।
- यह विधेयक निर्णय लेने की प्रक्रिया में पूर्ण स्वायत्तता लाकरऔर मुख्य बंदरगाहों के संस्थागत ढांचे का आधुनिकीकरण करके प्रमुख बंदरगाहों को अधिक दक्षता के साथ काम करने के लिए सशक्त बनायेगा।