प्रधानमंत्री मत्‍स्‍य संपदा योजना

केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 15 मई 2020 को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कृषि, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण सेक्‍टरों के लिए कृषि अवसंरचना लॉजिस्टिक्स को मजबूत करने, क्षमता निर्माण, गवर्नेंस और प्रशासनिक सुधारों के लिए अहम उपायों के तीसरे भाग की घोषणा की।

प्रधानमंत्री मत्‍स्‍य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana: PMMSY): सरकार, प्रधानमंत्री मत्‍स्‍य संपदा योजना शुरू करेगी इसके लिए 20 हजार करोड रूपये का प्रावधान किया गया है। समुद्री, अंतर्देशीय मछली पालन और एक्वाकल्चर से जुड़ी गतिविधियों के लिए 11,000 करोड़ रुपये तथा आधारभूत ढांचा – फिशिंग हार्बर्स, शीत भंडार, बाजार आदि के लिए 9,000 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। इसके तहत केज कल्चर, समुद्री शैवाल की खेती, सजावटी मछलियों के साथ नए मछली पकड़ने के जहाज, ट्रेसेलिबिलिटी (पता लगाने), प्रयोगशाला नेटवर्क आदि को बढ़ावा दिया जाएगा। मछुआरों को बैन पीरियड (जिस अवधि में मछली पकड़ने की अनुमति नहीं होती है) सपोर्ट, व्यक्तिगत और नौका बीमा के प्रावधान किए जाएंगे। इससे 5 साल में 70 लाख टन अतिरिक्त मछली उत्पादन होगा, 55 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा और निर्यात दोगुना होकर 1,00,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाएगा। इसमें अंतर्देशीय, हिमालयी राज्यों, पूर्वोत्तर और आकांक्षी जिलों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।

‘टॉप’से ‘टोटल’ (सम्‍पूर्ण) तक (‘TOP’ to TOTAL): खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा संचालित “ऑपरेशन ग्रीन्स” को टमाटर, प्याज और आलू से लेकर सभी फलों और सब्जियों तक बढ़ाया जाएगा।यह योजनाकोल्ड स्टोरेज सहित सरप्लस से घाटे वाले बाजारों में परिवहन पर 50% सब्सिडी, भंडारण पर 50% सब्सिडीप्रदान करेगीऔर इसे अगले 6 महीनों के लिए प्रायोगिक रूप से लॉन्च किया जाएगा तथा इसे बढ़ाया और विस्तारित किया जाएगा।इससे किसानों को बेहतर कीमत की प्राप्ति होगी, बर्बादी में कमी आएगी, उपभोक्ताओं को किफायती उत्‍पाद मिलेंगे।

किसानों के लिए कृषि द्वार (फार्म-गेट) आधारभूत ढांचे पर केन्द्रित 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि आधारभूत ढांचा कोष ( Agri Infrastructure Fund for farm-gate infrastructure for farmers): फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदुओं (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप आदि) पर मौजूद कृषि आधारभूत ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषण के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। किफायती और वित्तीय रूप से व्यवहार्य कृषि बाद प्रबंधन आधारभूत ढांचे से फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदु के विकास के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इस कोष की तत्काल स्थापना की जाएगी।

सूक्ष्म खाद्य उपक्रमों (एमएफई) के औपचारिकरण के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना (Formalisation of Micro Food Enterprises: MFE): 2 लाख एमएफई की सहायता के लिए ‘वैश्विक पहुंच के साथ वोकल फॉर लोकल’ का शुभारम्भ किया जाएगा। इससे ऐसे उद्यमियों को फायदा होगा, जिन्हें एफएसएसएआई खाद्य मानकों को हासिल करने, ब्रांड खड़ा करने और विपणन के लिए तकनीक उन्नयन की जरूरत है। वर्तमान खाद्य उद्यमियों, किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और सहकारी समितियों को भी समर्थन दिया गया है। इसमें महिलाओं और एससी/एसटी के स्वामित्व वाली इकाइयों और आकांक्षी जिलों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा तथा क्लस्टर आधारित रणनीति (जैसे- उत्तर प्रदेश में आम, कर्नाटक में टमाटर, आंध्र प्रदेश में मिर्च, महाराष्ट्र में संतरा आदि) को अपनाया जाएगा।

राष्‍ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम: खुरपका मुंहपका रोग (एफएमडी) और ब्रुसेलोसिस के लिए राष्‍ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम 13,343 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ शुरू किया गया। यह कार्यक्रम खुरपका मुंह पका रोग और ब्रुसेलोसिस के लिएमवेशी, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर की आबादी (कुल 53 करोड़ पशुओं) का 100प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करने के उद्देश्‍य से शुरु किया गया।अब तक, 1.5 करोड़ गायों और भैंसों को टैग किया गया है और उन्‍हें टीके लगाए जा चुके हैं।

औषधीय या हर्बल खेती को प्रोत्‍साहन : राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) ने 2.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय पौधों की खेती को सहायता प्रदान की है। अगले दो वर्षों में 4,000 करोड़ रुपये के परिव्‍यय सेहर्बल खेती के तहत 10,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा। इससे किसानों को5,000 करोड़ रुपयेकी आमदनी होगी। औषधीय पौधों के लिए क्षेत्रीय मंडियों का नेटवर्क होगा। एनएमपीबीगंगा के किनारे 800 हैक्‍टेयर क्षेत्र में गलियारा विकसित कर औषधीय पौधे लगाएगा।

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