जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर की खेती

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने श्रीनगर में सीएसआईआर-भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान (सीएसआईआर-आईआईआईएम) की ब्रांच। लैब और पुलवामा में संस्थान के फील्ड स्टेशन का दौरा किया और लैवेंडर की खेती से जुड़े महिला स्वयं सहायता समूहों और उद्यमियों के साथ बातचीत किया।

  • डॉ. शेखर मांडे ने इस बात पर संतोष जताया कि लैवेंडर की खेती अपनाने से उनकी आय और रोजगार में पर्याप्त बढ़ोतरी हुई है।
  • सीएसआईआर-आईआईआईएम, उच्च उत्पादकता और गुणवत्ता सूची प्राप्त करने के लिए लैवेंडर की खेती और प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों पर पिछले 35 से ज्यादा वर्षों से शोध एवं विकास (आरएनडी) कार्य कर रहा है।
  • सीएसआईआर-आईआईआईएम की ओर से अधिक तेल उत्पादन करने वाली एक किस्म, जिसे आरआरएल-12 (RRL-12) के रूप में जाना जाता है, विकसित की गई थी।
  • फसल की बड़े पैमाने पर खेती के लिए संस्थान बहुत सी राज्य और केंद्र प्रायोजित मिशन आधारित परियोजनाएं जैसे सीएसआईआर-अरोमा मिशन को संचालित कर रहा है।
  • लैवेंडर की खेती करने वाले किसान पारंपरिक फसलों की तुलना में 5-6 गुना ज्यादा आय (4.00-5.00 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर) प्राप्त करते हैं।

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