- उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने 26 नवंबर, 2018 को पंजाब में डेरा बाबा नानक – करतारपुर साहिब गलियारे के निर्माण के लिए आधारशिला रखी है। इससे पाकिस्तान के करतारपुर में गुरूद्वारा दरबार साहिब के तीर्थस्थल तक पहुंचने के लिए सिख तीर्थयात्रियों को एक रास्ता मिलेगा।
- यह कार्यक्रम श्री गुरू नानक देव जी के 550वें जन्मदिवस की यादगार का प्रतीक भी था।
- इस अवसर पर, उपराष्ट्रपति ने दिन को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि एक लंबे अरसे से हमारी मांग रही है कि भारत के सिख बहनों और भाइयों को करतारपुर तीर्थस्थल तक जाने में आसानी हो।
- श्री नायडू ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की है कि पाकिस्तान ने भारत की मांग को स्वीकार किया है और वह अपनी तरफ सुविधायुक्त गलियारा विकसित करेगा। उन्होंने कहा कि यह गलियारा हमें उस गुरू से जोड़ता है, जिनका हम सम्मान करते हैं। यह एक पवित्र स्थल है, जहां उन्होंने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे। गुरू नानक देव जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए, उन्होंने उन्हें एक संत, विद्वान, कवि, मार्गदर्शक और क्रांतिकारी बताया। उन्होंने कहा कि गुरू नानक देव जी से पिछले साढ़े पांच सदियों से मानवता के लिए रोशनी मिली है।
- इस गलियारे को दोनों देशों के लोगों के लिए एक सेतु बताते हुए श्री नायडू ने कहा कि यह गलियारा हमारे दोनों देशों के लोगों को जोड़ने के लिए प्रेम, सहानुभूति और साझी अध्यात्मिक विरासत के अदृश्य धागे के माध्यम से नये द्वार खोलने के साथ नई संभावनाएं तैयार करता है और दोनों देशों के लोगों को आपस में जोड़ने के लिए एक संकल्प को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि यह गलियारा शांति, भाईचारा और मानवतावाद का मार्ग होने के साथ-साथ एक परिवार के रूप में विश्व को देखने के एक व्यापक दृष्टिकोण और मानवता की सेवा के आदर्शों के व्यापक दृष्टिकोण का मार्ग है।
करतारपुर साहिब गलियारे का विकास
- केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 22 नवंबर, 2018 को गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक करतारपुर गलियारे के निर्माण और उसके विकास को मंजूरी दी थी। ताकि भारत से तीर्थ यात्री आसानी से पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित गुरूद्वारा दरबार साहिब करतारपुर जा सकें जहां गुरुनानक देवजी ने अपने जीवन के 18 वर्ष बिताए थे। इसके बाद तीर्थ यात्री पूरे वर्ष इस पवित्र गुरुद्वारे में जा सकेंगे।
- करतारपुर गलियारे का कार्य सरकार की सहायता से एक संयुक्त विकास परियोजना के रूप में किया जाएगा ताकि सभी आधुनिक सुविधाओं वाले इस मार्ग से तीर्थ यात्री सुगमता और सरलता आ-जा सकें। सरकार तीर्थयात्रियों की आसानी के लिए उपयुक्त सुविधाएं देगी। पाकिस्तान सरकार से आग्रह किया गया है कि वह सिख समुदाय की भावनाओं को समझे और उचित सुविधाओं के साथ अपने क्षेत्र में भी एक गलियारा विकसित करे।
- उल्लेखनीय है कि करतारपुर गलियारे का पहला प्रस्ताव 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तब दिया था जब वे बस से अमृतसर से लाहौर पहुंचे थे। बाद में पाकिस्तान सरकार ने भी अपने हिस्से में इस गलियारे के निर्माण की घोषणा की है।
- पाकिस्तान इस गलियारे का निर्माण भारतीय सीमा से करतारपुर साहिब तक बनाएगा जहां गुरु नानक ने अपने जीवन के अंतिम समय व्यतीत किए थे।
- इस गलियारा की लंबाई पाकिस्तान में 4.3 किलोमीटर व भारत में 1.5 किलोमीटर होगी।
इसे गलियारा से साल के सभी दिन तीर्थयात्रीं वीजा मुक्त यात्रा कर सकेंगे।