इंडिजेन कार्यक्रम: 32.23 प्रतिशत जीन वेरिएंट यूनिक

सीएसआईआर प्रयोगशालाओं, सीएसआईआर- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) और सीएसआईआर- सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्युलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) द्वारा संचालित भारत के 1029 अनुक्रमित जीनों (sequenced genomes) के व्यापक संगणना विश्लेषण परिणामों को इस सप्ताह के प्रारंभ में एक वैज्ञानिक पत्रिका, न्यूक्लिक एसिड रिसर्च में प्रकाशित किया गया।

  • इस विश्लेषण से भारत जीनोम डेटासेट में 55,898,122 एकल न्यूक्लियोटाइड वेरिएंट की पहचान हुई। वैश्विक जीनोम डेटासेट के साथ तुलना से यह पता चला है कि 18,016,257 (32.23 प्रतिशत) वेरिएंट अद्वितीय थे और यह केवल भारत से अनुक्रमित नमूनों में ही पाए गए थे।
  • भारत दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी वाले 1.3 बिलियन से अधिक व्यक्तियों के साथ जनसंख्या घनत्व के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश है।
  • इस समृद्ध आनुवंशिक विविधता के बावजूद, भारत को वैश्विक जीनोम अध्ययनों में कम प्रतिनिधित्व दिया गया है। इसके अलावा, भारत की जनसंख्या संरचना में रिसेसिव एलील्स की अधिकता है। दो भिन्न जीन के संबंधों में जो गुणवत्ता पायी जाती है उसे रिसेसिव कहा जाता है। एक व्यक्ति अपने माता एवं पिता अलग प्रकार की जीन प्राप्त करता है जिसे एलील कहा जाता है।)
  • भारत से बड़े पैमाने पर पूर्ण जीनोम अध्ययनों के संचालित न होने से, इन जनसंख्या-विशिष्ट आनुवंशिक वेरिएंट को वैश्विक स्तर पर पर्याप्त रूप से अभिग्रहित और सूचीबद्ध नहीं किया जाता है।
  • भारत में विभिन्न आबादी से पूरे जीनोम अनुक्रम के अंतराल को भरने के लिए, सीएसआईआर ने अप्रैल 2019 में इंडिजेन कार्यक्रम (IndiGen Program ) का शुभारंभ किया था। इस कार्यक्रम के तहत, देश भर से लिए गए 1029 स्व-घोषित स्वस्थ भारतीयों का जीनोम अनुक्रमण पूर्ण कर लिया गया है।
  • इस प्रक्रिया को एक निर्धारित समय सीमा में जनसंख्या पैमाने पर जीनोम अनुक्रमण की मापनीयता के मामले में एक विशिष्ट उपलब्धि हासिल की है।
  • केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री. डॉ हर्षवर्धन ने 25 अक्टूबर 2019 को इंडिजेन अनुक्रम पीढ़ी के प्रयासों को पूरा करने की घोषणा की।

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