आंध्र प्रदेश विधान सभा में विधान परिषद को समाप्त करने के प्रस्ताव को 27 जनवरी 2020 को पारित कर दिया गया ।
- राज्य की 175 सदस्यीय विधानभा में मत विभाजन के दौरान उपस्थित सभी 133 सदस्यों ने विधान परिषद को खत्म करने के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. विधानसभा अध्यक्ष ताम्मिनेई सीताराम के अनुसार राज्यों में विधान परिषदों के गठन या निरस्तीकरण से संबंधित अनुच्छेद 169 (1) के तहत प्रस्ताव को बहुमत से स्वीकार कर लिया गया ।
- आंध्र प्रदेश में विधान परिषद् का गठन सर्वप्रथम 1 जुलाई, 1958 को किया गया था और 31 मई, 1985 को इसे भंग कर दिया गया था। 30 वर्षों के पश्चात 30 मार्च, 2007 को इसका फिर से गठन किया गया।
संवैधानिक प्रावधान
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 168 के अनुसार राज्य की विधायिका एक सदन वाला दो सदनों वाला होगा।
- अनुच्छेद 169 (1) में राज्यों में विधान परिषद् के गठन या समाप्त कर देने का प्रावधान किया गया है। इस हेतु एक प्रस्ताव राज्य विधानसभा सदस्यों के बहुमत से तथा उपस्थित व मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई समर्थन से पास होना जरूरी है। इसके पश्चात इस विधेयक का संसद् से पारित होना जरूरी है।
- विधान परिषद् के सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं. कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं. विधान परिषद सदस्य (MLC) का कार्यकाल भी 6 वर्ष का होता है, जहां प्रत्येक दो वर्ष की अवधि पर इसके एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं ।
- वर्तमान में छह राज्यों आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में विधान परिषद हैं. अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले जम्मू-कश्मीर में भी विधान परिषद थी.
- संविधान का अनुच्छेद 171 में विधान परिषद की संरचना का उल्लेख किया गया है । परिषद के लगभग एक तिहाई सदस्य विधान सभा के सदस्यों द्वारा ऐसे व्यक्तियों में से चुने जाते हैं जो इसके सदस्य नहीं हैं, 1/3 निर्वाचिका द्वारा, जिसमें नगरपालिकाओं के सदस्य, जिला बोर्डों और राज्य में अन्य प्राधिकरणों के सदस्यों सम्मलित हैं, द्वारा चुने जाते हैं; 1/12 का चुनाव निर्वाचिका द्वारा ऐसे व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जिन्होंने कम से कम तीन वर्षों तक राज्य के भीतर शैक्षिक संस्थाओं (माध्यमिक विद्यालयों से नीचे नहीं) में अध्यपन में लगे रहे हो; न्य 1/12 का चुनाव पंजीकृत स्नातकों द्वारा किया जाता है जो तीन वर्ष से अधिक समय पहले पढ़ाई समाप्त कर लिए हैं; शेष सदस्य राज्यपाल द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला, सहयोग आन्दोलन और सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों में से नामित किए जाते हैं ।