कातकारी समुदाय-गिलोय और अन्य उत्पादों का विपणन

थाणे में शाहपुर की ‘आदिवासी एकात्मिक सामाजिक संस्था ‘ जो गिलोय और अन्य उत्पादों का विपणन करती है, ने एक बार फिर इसे साबित कर दिया है। गिलोय (Giloy ) एक चिकित्सकीय पौधा है, जिसके लिए फार्मास्युटिकल कंपनियों से भारी मांग है।

  • यह यात्रा तब प्रारंभ हुई जब कातकारी समुदाय का एक युवा सुनील पवार और 10-12 लड़कों की उसकी टीम ने अपने मूल स्थान में राजस्व कार्यालयों में कातकारी जनजातियों के विभिन्न कार्यों को सुगम बनाने का कार्य आरंभ किया।
  • गृह मंत्रालय के वर्गीकरण के अनुसार कातकारी 75 विशिष्ट रूप से निर्बल जनजातीय समूहों (Particularly Vulnerable Tribal Groups: PVTGs)) में से एक है।
  • कुछ ऐेसे जनजातीय समुदाय हैं जो प्रौद्योगिकी के कृषि-पूर्व स्तर का उपयोग करते हैं, स्थिर या कम हो रही जनसंख्या वृद्धि का सामना करते हैं, उनमें साक्षरता और आजीविका का स्तर अत्यधिक निम्न है।
  • 18 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में ऐसे 75 समूहों की पहचान की गई है और उन्हें विशिष्ट रूप से निर्बल जनजातीय समूहों (पीवीटीजीएस) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

प्रधान मंत्री वन धन योजना (पीएमवीडीवाई)

प्रधान मंत्री वन धन योजना (पीएमवीडीवाई) गौण वन ऊपज (एमएफपी) के लिए एक खुदरा विपणन आधारित मूल्य वर्द्धन योजना है, जिसका उद्वेश्य वन स्थित जनजातियों को स्थानीय रूप से उनकी आय को ईष्टतम बनाना है। इस कार्यक्रम के तहत लगभग 300 सदस्यों के एमएफपी आधारित जनजातीय समूह/उद्यमों का गौण वन ऊपज (एमएफपी) के संग्रहण, मूल्य वर्द्धन, पैकेजिंग एवं विपणन के लिए गठन किया जाता है।

ये जनजातीय उद्यम वन धन एसएचजी के रूप में होंगे जो 15 से 20 सदस्यों का एक समूह होगा और ऐसे 15 एसएचजी समूहों को लगभग 300 सदस्यों के वन धन विकास केंद्र (वीडीवीकेएस) के एक वृहद समूह में संघबद्ध किया जाएगा।

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *