जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा बायो-बैंक की स्थापना

नीति आयोग ने हाल ही में कोविड-19से संबंधित अनुसंधान के लिए जैव नमूनों और डेटा को साझा करने से सम्बंधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कैबिनेट सचिव के निर्देशों के अनुसार, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19रोगियों के नैदानिक नमूनों (मुंह का लार/नाक द्रव/गला, फेफड़ा द्रव/थूक/रक्त/मूत्र और मल) के संग्रह, भंडारण और रख-रखाव (नमूनों को बनाये रखना) के लिए 16 जैव – भण्डार (bio-repositories) की अधिसूचना जारी की है।

  • 16 बायो रिपोजिटरी: आईसीएमआर-9, डीबीटी-4 और सीएसआईआर-3।जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत चार बायो रिपोजिटरी हैं – एन सी आर –बायोटेक साइंस सेंटर (i) टीएचएसटीआई, फरीदाबाद-नैदानिक नमूने (ii) आरसीबी फरीदाबाद-वायरल सैंपल, इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज, भुवनेश्वर, इनस्टेम, बैंगलोर और आईएलबीएस, नई दिल्ली।
  • कोविड-19 रोगियों के नमूनों (मुंह का लार/नाक द्रव/गला, फेफड़ा द्रव/थूक/रक्त/मूत्र और मल) का संग्रह किया जाएगा और इसे सुरक्षित रखा जायेगा ताकि भविष्य में निदान, चिकित्सा विज्ञान, टीके आदि विकसित करने के लिए इसका उपयोग किया जा सके।
  • कोविड-19 नमूनों के लिए जैव बैंकों की भूमिका निम्न होगी – वैक्सीन और उपचार का विकास करना; नाक द्रव समेत नमूनों के रख-रखाव के बारे में मार्गदर्शन; और उन परिस्थितियों का विवरण, जिसके अंतर्गत बीएसएल-3 से सम्बंधित निर्देशों का पालन किया जाना है।
  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग भविष्य कीएक बेहतर रणनीतिक योजना के माध्यम से इन कोविड-19 नामित जैव-बैंक सुविधाओं का समर्थन करेगा, ताकि समय के साथ नये तकनीकी हस्तक्षेप विकसित किये जा सकें। ये नामित बायो – रिपोजिटरी अपने संबंधित संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास के उद्देश्य के लिए रोग-संबंधी नमूनों का उपयोग करेंगे।

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